Imran Pratapgarhi Case: कांग्रेस सांसद और प्रसिद्ध शायर इमरान प्रतापगढ़ी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। गुजरात पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह एक कविता है, जो किसी विशेष समुदाय के खिलाफ नहीं है।
एफआईआर का मामला:
3 जनवरी को जामनगर में एक सामूहिक विवाह समारोह के दौरान इमरान प्रतापगढ़ी ने एक कविता प्रस्तुत की थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया गया। इस वीडियो के संबंध में गुजरात पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 और 197 के तहत मामला दर्ज किया था, आरोप लगाते हुए कि यह सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया:
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट द्वारा एफआईआर रद्द करने से इनकार करने के आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने कविता के अर्थ को सही से नहीं समझा। कोर्ट ने कहा, "यह अंततः एक कविता है। यह किसी धर्म के खिलाफ नहीं है। यह कविता अप्रत्यक्ष रूप से कहती है कि भले ही कोई हिंसा में लिप्त हो, हम हिंसा में लिप्त नहीं होंगे।"
अंतरिम राहत:
सुप्रीम कोर्ट ने प्रतापगढ़ी की गिरफ्तारी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है और गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
इमरान प्रतापगढ़ी ने जामनगर में आयोजित एक सामूहिक विवाह समारोह में भाग लेने के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया था, जिसमें उनकी कविता "ऐ ख़ून के प्यासे बात सुनो" पृष्ठभूमि में चल रही थी। इस पर गुजरात पुलिस ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और साहित्यिक अभिव्यक्तियों की सुरक्षा पर एक महत्वपूर्ण संदेश गया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि साहित्यिक कृतियों को उनके सही संदर्भ में समझना आवश्यक है, ताकि अनावश्यक कानूनी कार्यवाही से बचा जा सके।